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अंबेडकर नगर: बंद पड़े सरकारी आवास से 22.48 लाख रुपये बरामद, 11 साल पहले हुई थी डॉक्टर की संदिग्ध मौत

विशाल यादव अंबेडकर नगर ब्यूरो चीफ

अंबेडकरनगर। जिले में स्वास्थ्य विभाग के लिए उस समय हड़कंप मच गया जब कार्यवाहक मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) के बंद पड़े पुराने आवास से 22 लाख 48 हजार 505 रुपये बरामद हुए। यह वही आवास है, जहां पूर्व ACMO एवं कार्यवाहक CMO रहे डॉ. ब्रह्म नारायण तिवारी वर्ष 2014 में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए थे। तब से यह सरकारी आवास बंद था। अब जब सीएमओ कार्यालय में मरम्मत का कार्य शुरू हुआ तो इस बंद आवास को खोला गया। मरम्मत के दौरान बिस्तर और सूटकेस के नीचे छिपाकर रखी गई पुराने 500 और 1,000 रुपये के नोटों की गड्डियां बरामद हुईं। मौके पर की गई वीडियोग्राफी के साथ पूरी प्रक्रिया की सूचना पुलिस, आयकर विभाग और शासन को भेज दी गई है।

डॉ. ब्रह्म नारायण तिवारी मूल रूप से प्रतापगढ़ जनपद के निवासी थे और 27 अगस्त 2007 से अंबेडकरनगर में चिकित्साधिकारी के पद पर कार्यरत थे। बाद में पदोन्नत होकर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी एवं कार्यवाहक सीएमओ बने। 29 जनवरी 2014 को मिरानपुर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) परिसर के जर्जर आवास में उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। ताला तोड़कर उनका शव बाहर निकाला गया था। उनकी मौत के बाद भतीजों भानु प्रताप और शशांक के बीच संपत्ति को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ, जिस कारण कमरे को बंद कर दिया गया था।

अब जब वर्तमान सीएमओ डॉ. संजय कुमार शैवाल ने कार्यालय की मरम्मत का निर्देश दिया, तो बंद कमरे को खोलने से पहले कोतवाली अकबरपुर से रिपोर्ट मंगाई गई कि कहीं कोई मुकदमा या न्यायालयीन विवाद तो लंबित नहीं है। पुलिस द्वारा 1 जुलाई को दी गई रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि कोई केस दर्ज नहीं है। इसके बाद 3 जुलाई को डॉ. मनोज कुमार सिंह और डॉ. मार्कंडेय की अध्यक्षता में गठित समिति की उपस्थिति में कमरा खोला गया, और वीडियोग्राफी के बीच की गई जांच के दौरान जब बिस्तर हटाया गया, तो वहां नकदी की गड्डियों को देख अधिकारी स्तब्ध रह गए।

जांच में सामने आया कि कमरे से 1,000 रुपये के 776 नोट (7,76,000 रुपये), 500 रुपये के 2,945 नोट (14,72,500 रुपये) और 5 रुपये का एक सिक्का बरामद हुआ। कुल मिलाकर नकदी की राशि 22,48,505 रुपये है। बरामद राशि को विभागीय प्रक्रिया के तहत सुरक्षित रखवाया गया है और इस पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। अब यह तय किया जाएगा कि यह रकम किसकी है और इसका उपयोग या कानूनी स्थिति क्या होगी।

बताया गया कि डॉ. तिवारी के कार्यकाल के दौरान उनके ऊपर किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार या घोटाले का आरोप नहीं था। अब इतने वर्षों बाद उनके बंद आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलना कई सवाल खड़े कर रहा है।

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